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अगस्त 25, 2024 8:11 अपराह्न

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भाजयुमो प्रदेश महामंत्री सन्नी शुक्ला ने प्रदेश सरकार पर आपदा के नाम पर अपनी नाकामी छुपाने का आरोप लगाया

भाजयुमो प्रदेश महामंत्री सन्नी शुक्ला ने प्रदेश सरकार पर आपदा के नाम पर अपनी नाकामी छुपाने का आरोप लगाया। सन्नी शुक्ला ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से बरसात के मौसम में आ रही आपदा से प्रदेशवासियों को बड़ी जनधन की हानि झेलनी पड़ रही है, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश सरकार ना तो प्रभावितों को निष्पक्ष होकर मुआवजा ही प्रदान कर पा रही है और ना ही कोई विशेष जांच करवाई जा रही है। ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपदा से जनधन की हानि को रोक जा सके।
 
 
सन्नी शुक्ला ने कहा कि पिछले वर्ष मानसून से संबंधित व अन्य दुर्घटनाओं में 330 लोगों की जान चली गई हैं। प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान आंका गया। प्रदेश में कृषि और बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ. संचार व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा और कई क्षेत्रों में लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
 
 
लेकिन प्रदेश सरकार की संवेदन हीनता देखिए कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी समरहिल हादसे के लिए कोई विशेष जांच नहीं की गई। ताकि भविष्य में इस तरह की आपदा से होने वाली जनहानि से बचा जा सकता। इस हादसे में 22 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
 
 
सन्नी शुक्ला ने आरोप लगाया कि उस समय प्रदेश सरकार के बड़े-बड़े पदाधिकारी और मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी तक ने प्रदेशवासियों से दावे किए की लोगों को राहत दी जाएगी और ऐसी दुर्घटनाएं क्यों हुई इसकी जांच की जाएगी. मगर एक वर्ष बीतने के बाद भी धरातल पर कुछ नहीं हुआ है और सरकार ने लोगों को ठगा है।
 
 
 
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जब एक वर्ष बाद आरटीआई के मध्यम से जानकारी एकत्रित की तो पाया की शिव बावड़ी समरहिल भूस्खलन के मामले में प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई स्पेशल कमिटी नहीं बनाई है और सिर्फ एक प्रारंभिक जांच (Preliminary) की गई जिसके अंदर शिमला के हुए सभी बरसात के नुकसान के बारे में जानकारी एकत्रित की गई।
 
 
जिससे साफ होता है कि प्रदेश सरकार कितनी संवेदनहीन है. 22 लोगों को बेवजह अपनी जान गंवानी पड़ी लेकिन सरकार घटना की जांच के लिए कमेटी तक नहीं बना सकी और सिर्फ एक प्रारंभिक जांच करके पूरे मामले को दबा दिया. आज तक इन कारणों का पता नहीं चल पाया कि शिव बावड़ी भूस्खलन क्यों हुआ उसके पीछे क्या कारण थे।
 
 
समरहिल एक ऐसी जगह है, जहां विश्वविद्यालय के अंदर 3000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं और वहां के स्थानीय लोग तथा छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की बनती है लेकिन देखा जा सकता है कि प्रदेश सरकार कितनी संवेदनहीन है कि 1 वर्ष बीतने के बाद भी कोई जांच उसे शिव बावड़ी दुर्घटना के लिए नहीं की गई।
 
 
सनी शुक्ला ने कहा कि प्रदेश सरकार के ऊपर से हिमाचल प्रदेश की जनता का विश्वास उठ चुका है विश्वविद्यालय से लेकर सचिवालय तक कर्मचारी सड़कों पर हैं, उन्हें DA देने में सरकार असफल है और प्रदेश सरकार के मंत्री और अधिकारी जनता के पैसों से बड़े-बड़े गाड़ियों और बड़े-बड़े महलों में रह रहे हैं। और जहां प्रदेश सरकार अपनी आर्थिक नाकामी  को छुपाने के लिए प्राकृतिक आपदा को दोषी दे रही है वहां भी प्रदेश सरकार लोगों की आंखों में धूल झोंक रही है।

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