राष्ट्र कल स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय नेता भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा। केंद्र सरकार ने जनजातीय इतिहास को जीवित रखने के लिए 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है।
यह उत्सव जनजातीय गौरव सप्ताह के रूप में विस्तारित हो गया है। इसे विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और शैक्षिक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है जो जनजातीय नायकों की विरासत को जीवंत रखते हैं।
सरकार ने जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित संग्रहालयों और स्मारकों के विकास पर निरंतर बल दिया है। 10 राज्यों में ग्यारह संग्रहालयों को मंज़ूरी दी गई है, जिनमें से तीन का उद्घाटन हो चुका है। रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मारक पार्क-सह-संग्रहालय भी इनमें शामिल है। इसी प्रकार, रायपुर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित डिजिटल संग्रहालय का नाम वीर नारायण सिंह के नाम पर रखा गया है।
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, टंट्या भील विश्वविद्यालय और अल्लूरी सीताराम राजू तथा बिरसा मुंडा की मूर्तियां जैसे सार्वजनिक स्थान देश भर में जनजातीय विरासत को समाहित करने के प्रयासों को दर्शाते हैं।
आदि शौर्य ई-बुक और जनजाती नेताओं पर अमर चित्र कथा संकलन सहित उनकी कहानियों की पुस्तकों, कॉमिक्स और डिजिटल सामग्री का प्रकाशन हो रहा है। यह सुनिश्चित करते हुए कि जनजातीय नायकों की कहानियां हर पीढ़ी तक पहुंचें इसने देश में अपने जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के तरीके को बदला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिरसा मुंडा, पाइका विद्रोह और रानी गाइदिन्ल्यू को समर्पित स्मारक सिक्के और डाक टिकट भी जारी किए हैं।
पिछले एक दशक में, जनजातीय विकास की दृष्टि एक राष्ट्रव्यापी मिशन में विस्तारित हुई है। आज, 42 मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना से आदिवासी कल्याण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
इस अवसर पर बिरसा मुंडा के परपोते ने कहा कि श्री बिरसा मुंडा ने जनजातीय लोगों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में जनजातीय समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए सरकार द्वारा हाल ही में की गई पहलों की भी सराहना की।