बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आज ठाणे के बदलापुर के एक स्कूल में चार साल की दो बच्चियों के यौन शोषण मामले की जांच में चूक के लिए महाराष्ट्र पुलिस की आलोचना की। न्यायालय ने अखबारों में छपी खबरों के आधार पर मामले का स्वत: संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने अपराध की रिपोर्ट करने में विफल रहने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की कमी पर भी प्रकाश डाला।
कोर्ट ने मामला दर्ज करने में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसी देरी लोगों को पुलिस के पास जाने से हतोत्साहित करती है। इसमें यौन अपराधों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए पुलिस बल को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। अदालत ने राज्य को अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया और दूसरे पीड़ित के बयान दर्ज करने में देरी के लिए स्पष्टीकरण की मांग की। न्यायालय ने यह भी अनुरोध किया कि मामले की फाइलें और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज उसके समक्ष प्रस्तुत किये जाएं। इस मामले की सुनवाई 29 अगस्त को होनी है।