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अप्रैल 12, 2024 4:55 अपराह्न

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बैशाखी अर्थात बीशू की साजी के पावन पर्व पर क्योंथल क्षेत्र में आटे के मीठे बकरे बनाने की परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम

बैशाख सक्रांति के एक दिन पहले समूचे क्योंथल क्षेत्र में आटे के मीठे बकरे  बना कर त्यौहार का भरपूर आन्नद उठाया। बता दें कि क्योंथल क्षेत्र में बैशाखी अर्थात बीशू की साजी का त्यौहार 3 दिन तक मनाया जाता है। पुरातन परंपरा के अनुरूप लोगों द्वारा इस त्यौहार पर विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं जिनमें आटे के बकरे बनाने की अनूठी परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम है। बीशू की साजी से 2 दिन पहले सिडडू बनाए जाते है। इसी प्रकार अगले दिन आटे के मीठे बकरे और रात्रि को अस्कलियां बनाई जाती है। इस पर्व पर आटे के बकरे तथा पटांडे व खीर बनाना घर में शुभ मानते हैं जिसे घी के साथ खाया जाता हैं । 

वरिष्ठ नागरिक दयाराम वर्मा और  प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि कालांतर से इस पर्व को हर वर्ष नववर्ष के आगमन के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। संक्राति के दिन लोगों द्वारा अपने घरों पटांडे और खीर बनाई जाती है। इसके अतिरिक्त घर के बाहर बुरांस के फूलों की माला लगाते है जिसे इस पर्व पर बांधना बहुत शुभ माना जाता है। बीशू की साजी को लोगों द्वारा अपने कुलदेवता के मंदिर में विशेष पूजा पर हाजरी भरते है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में वर्ष में पड़ने वाली 4 बड़ी साजी का विशेष महत्व है। जिनमें बैशाख संक्राति, श्रावण मास की हरियाली संक्राति, दीपावली और मकर संक्राति शामिल है। इस दिन लोग अपने कुलदेवता के मंदिर में जाकर विशेष रूप से हाजरी भरते हैं ।

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