सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को व्यक्तिगत कानूनों द्वारा बाधित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह जीवन साथी स्वंय चुनने की इच्छा का उल्लंघन करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने देश में बाल विवाह की रोकथाम कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए।