बांग्लादेश में गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को उनकी 163वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कल श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि रबीन्द्र साहित्य पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ हमारा मुख्य सहारा था और उनके गीत बांग्लादेश के महान मुक्ति संग्राम में संघर्ष की प्रेरक शक्ति थे। राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाली साहित्य के चमकते सितारे रबीन्द्रनाथ टैगोर साहित्यिक क्षेत्र की अद्भुत प्रतिभा हैं, जिन्होंने बंगाली साहित्य को उसकी महिमा के साथ दुनिया के सामने लाया।
उन्होंने कहा कि रबीन्द्रनाथ एक साथ कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, गीतकार और निबंधकार थे और साहित्य की ऐसी कोई शाखा नहीं है जिसमें उनका हस्तक्षेप न रहा हो। शहाबुद्दीन ने कहा कि टैगोर के गीतों, साहित्य और कार्य-नीति ने बांग्लादेश के लोगों को लगातार प्रेरित किया है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने संदेश में कहा कि बंगाली कविता, गीत, लघु कथाएँ, उपन्यास, निबंध, नाटक, गीतनाट्य और नृत्य नाट्यों को रबीन्द्रनाथ टैगोर के जादुई हाथों में पूर्णता मिली है। इन रचनाओं के साथ, बंगाली साहित्य ने विश्व पटल में जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि टैगोर पहले बंगाली कवि थे, पहले एशियाई भी थे जिन्होंने साहित्य में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार जीता था।
उन्होंने कहा कि टैगोर की ‘सोनार बांग्ला’ भावना से प्रेरित होकर, बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने सोनार बांग्ला को स्वतंत्र बनाने का संकल्प लिया और इसके बाद बंगाली लोगों को एक स्वतंत्र और संप्रभु बांग्लादेश प्रस्तुत किया। बांग्लादेश सरकार ने बुधवार, 8 मई को देश भर में गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती मनाने के लिए एक विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया है।