भीषण चक्रवाती तूफान रेमल के कारण बांग्लादेश के तटीय इलाकों में तेज हवाएं और भारी बारिश हो रही है। बांग्लादेश के मौसम विभाग -बीएमडी के अनुसार चक्रवात रविवार आधी रात को सागर द्वीप, पश्चिम बंगाल- खेपुपारा, बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र सुंदरवन तट पहुंचा। चक्रवाती तूफान रेमल के प्रभाव से तटीय इलाकों में तेज बारिश हो रही है। चौंसठ किलोमीटर प्रति घंटे की शुरूआती रफ्तार के बाद हवाएं 90 किलोमीटर प्रति घंटे और उससे बढ़कर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी हैं। बांग्लादेश में तटीय इलाकों से करीब 8 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बांग्लादेश के आपदा प्रबंधन और राहत राज्य मंत्री मोहम्मद मोहिबुर रहमान ने कल बताया कि चक्रवात आने से पहले ही लगभग 9 हजार आश्रय स्थल तैयार किये जा चुके थे जिनमें पर्याप्त भोजन, बिस्कुट, पीने का पानी और चिकित्सा आपूर्ति पहुंचा दी गई है।
मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चक्रवात के कारण सामान्य रूप से ज्वार के समय आने वाली चार मीटर ऊंची लहरें और ऊंची तथा और खतरनाक हो सकती हैं।
भीषण चक्रवात रेमल के प्रभाव से सुंदरवन के बड़े क्षेत्र में रविवार को पानी भर गया, जिसके कारण बाघ, हिरण और अन्य जंगली जानवरों के लिए खतरा पैदा हो गया है। मीठे पानी के भी सौ से अधिक जलाशय पानी में डूब हो गए हैं।
बांग्लादेश के मौसम विभाग ने अपने विशेष बुलेटिन में बंदरगाह पायरा और मोंगला में खतरे के संकेत नम्बर दस फहराने का निर्देश फहराते रहने की सलाह दी है। खुलना, सत्खिरा, बागेरहाट, पिरोजपुर, झालोखाटी, बोरगुना, बरिशाल, भोला, पटुआखली के तटीय इलाकों में खतरे का संकेत संख्या दस लगाया गया है। कॉक्स बाजार और चटगांव में भी खतरे का संकेत नम्बर नौ फहराने की सलाह दी गई है। तटीय जिले चटगांव, कॉक्स बाजार, फेनी, नोआखली, लक्ष्मीपुर, चांदपुर के तटीय इलाकों में खतरे का संकेत नौ के अंतर्गत आएंगे। मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात के प्रभाव से राजशाही, रंगपुर, मैमनसिंह, ढाका, खुलना, बारिसल, चटगांव और सिलहट डिवीजन में तेज हवा के साथ 44 से 88 मिली मीटर से लेकर बहुत तेज 289 मिलीमीटर वर्षा होने की आशंका है। उत्तरी खाड़ी और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली सभी नौकाओं और ट्रॉलरों को अगली सूचना तक समुद्र की तरफ न जाने की सलाह दी गई है। बांग्लादेश मौसम विभाग ने कहा है कि कॉक्स बाजार, बंदरबन, रंगमाटी, खगराचारी के पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन भी हो सकता है।
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