बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनाव कराने के लिए गैर-दलीय निगरानी (केयरटेकर) सरकार की व्यवस्था को बहाल कर दिया है। न्यायालय ने 2011 के अपने उस फैसले को पलट दिया है जिसमें इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक गैर-दलीय निगरानी प्रणाली 14वें आम चुनाव के लिए लागू होगी। 13वां चुनाव मौजूदा अंतरिम सरकार के तहत कराया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश सैयद रफात अहमद की अध्यक्षता वाली अपीलीय प्रभाग की सात सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। यह फैसला 1996 में लाए गए 13वें संविधान संशोधन को फिर से लागू करता है। इसका उद्देश्य निष्पक्ष स्वतंत्र और भरोसेमंद चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक तटस्थ अंतरिम प्रशासन की स्थापना था।
न्यायालय ने अपने पहले के 2011 के फैसले को चुनौती देने वाली दो अपील और चार पुनर्विचार याचिकाओं को मंज़ूरी दी। याचिकाकर्ताओं में बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी, सिविल सोसाइटी के सदस्य, स्वतंत्रता सेनानी और मानव अधिकार संगठन के लोग शामिल थे। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए इस प्रणाली को फिर से शुरू करना ज़रूरी था।
निगरानी प्रणाली को पहली बार 1996 में 90 दिनों के समय के लिए चुनावों की देखरेख के लिए अपनाया गया था। इसे 2011 में 15वें संविधान संशोधन के माध्यम से समाप्त कर दिया गया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने 13वें संविधान संशोधन को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था।