बांग्लादेश के जुलाई सुधार चार्टर ने राजनीतिक गतिरोध पैदा कर दिया है। प्रमुख दलों के बीच इसकी विषयवस्तु और समय को लेकर मतभेद है। राष्ट्रीय सहमति आयोग में बातचीत में तेज़ी से आई कमी के साथ शुरुआती समर्थन कम हो गया है। चुनाव आयोग को मज़बूत करने के प्रस्तावों को व्यापक समर्थन मिल रहा है। लेकिन न्यायिक और संसदीय बदलाव जैसे अन्य प्रस्तावों पर मतभेद बने हुए हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने फरवरी में होने वाले चुनावों को बिना किसी देरी के आगे बढ़ाने पर बल दिया है। इस बीच जमात-ए-इस्लामी और उसके सहयोगी पहले सुधारों की मांग कर रहे हैं और अगर अनदेखी की गई तो नए सिरे से प्रदर्शन की चेतावनी दे रहे हैं। उन्होंने 18 सितंबर को ढाका में और 26 सितंबर को देश भर में रैलियाँ करने की योजना बनाई है। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने एकता पर बल देते हुए कहा कि आम सहमति ज़रूरी है। पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी है कि यह गतिरोध लोगों के विश्वास को कम कर सकता है और बांग्लादेश के नाज़ुक लोकतांत्रिक परिवर्तन में अनिश्चितता को बढ़ा सकता है।