बलूच नेशनल मूवमेंट ने सामान्यीकृत वरीयता योजना प्लस-जी.एस.पी.पी. के तहत पाकिस्तान के तरजीही व्यापार दर्जे के पुनर्मूल्यांकन की मांग की है। मूवमेंट की ये मांग पाकिस्तान में मानवाधिकारों के गंभीर हनन को देखते हुए की गई है। ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद के एक सम्मेलन में भाग लेते हुए बलूच नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष नसीम बलूच ने कहा है कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान में दमन अभियान तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि नेताओं, छात्रों, मानवाधिकार रक्षकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए क्रूरता का सहारा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में जबरन गायब होने के 234 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इस साल की शुरुआत में अपहृत नसरीना बलूच और महजबीन बलूच जैसी महिलाएं अभी भी लापता हैं।
बलूच नेता ने कहा कि जहां बलूचिस्तान सबसे ज्यादा क्रूरता का सामना कर रहा है, वहीं हाशिए पर पड़े- पख्तून, सिंधी, ईसाई, अहमदिया, हिंदू, तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग भी इसी तरह जबरन गायब किए जाने, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने और राजनीतिक दमन का सामना कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए नसीम ने कहा कि पाकिस्तान को सामान्यीकृत वरीयता योजना प्लस से लाभ मिलना जारी है। यह मानव अधिकारों, श्रम मानकों और सुशासन के अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई एक व्यवस्था है, फिर भी पाकिस्तान ने इन शर्तों का उल्लंघन किया है।