बम्बई उच्च न्यायालय ने एक मादा हाथी को गुजरात के जामनगर स्थित एक विशेष हाथी पुनर्वास केंद्र में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। यह हाथी तीन दशकों से कोल्हापुर स्थित एक जैन धार्मिक ट्रस्ट के पास रह रहा था और इसको महादेवी उर्फ माधुरी नाम दिया गया था।
न्यायालय ने कहा कि हाथी का गुणवत्तापूर्ण जीवन का अधिकार, धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उस जानवर का उपयोग करने के मनुष्यों के अधिकार से ऊपर है। पशु संरक्षण से संबंधित गैर सरकारी संगठन पेटा ने आरोप लगाया है कि धार्मिक परंपरा की आड़ में हाथी का व्यावसायिक शोषण किया जा रहा है।
पेटा ने कहा है कि तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड ने मुहर्रम जुलूस के लिए वन विभाग की अनिवार्य मंज़ूरी के बिना हाथी को चार लाख रूपये में किराए पर लिया था।