फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने ईरान पर परमाणु कार्यक्रम संबंधी संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर लागू करने की 30 दिन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन देशों को ई-थ्री के नाम से भी जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अगर ईरान को राहत देने का कोई प्रस्ताव पारित नहीं होता तो उस पर पिछले प्रतिबंध फिर लागू हो जायेंगे।
ईरान की परमाणु गतिविधियों पर अंकुश लगाने के राजनयिक प्रयास विफल होने के बाद उठाए गए इन कदमों का अमरीका ने स्वागत किया है।
ईरान ने इस निर्णय की निंदा करते हुए दुष्परिणामों की चेतावनी दी है। ईरान ने कहा है कि वह दबाव में नहीं झुकेगा। ईरान के वरिष्ठ अधिकारी ने फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन पर कूटनीतिक प्रयासों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस कार्रवाई को अनुचित और अवैध बताया है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि इस फैसले को अब भी बदला जा सकता है।
2015 के परमाणु समझौते के बाद ईरान से प्रतिबंध हटा लिए गए थे। इन प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए अक्टूबर की समय सीमा से पहले ही ई-3 ने यह कदम उठाया है। फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि अभी कूटनीतिक प्रयास खत्म नहीं हुए हैं। जर्मनी ने ईरान से संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग करने और अमरीका के साथ सीधी बातचीत करने को कहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज एक बैठक में ईरान पर लागू प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की प्रक्रिया पर चर्चा करेगी। इस सप्ताह के आरंभ में जिनेवा में कई दौर की असफल वार्ताओं के बाद यह कदम उठाया गया है।