अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि फिलीस्तीन को मान्यता देना हमास को पुरस्कार प्रदान करने जैसा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने हमास से कहा कि सभी बंधकों और मारे गए लोगों के शवों को तुरंत इस्राइल को सौंप दिया जाए।
डॉनल्ड ट्रंप ने गाजा संघर्ष के बारे में कहा कि वे युद्धविराम की कोशिशों में गहराई से जुटे हुए हैं, लेकिन हमास ने बार-बार शांति बहाली के प्रस्तावों को ठुकराया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के उन सदस्य देशों की आलोचना की, जिन्होंने फिलीस्तीन को देश के रूप में मान्यता दी है। उल्लेखनीय है कि फ्रांस और बेल्जियम समेत 156 देशों ने सोमवार को फिलीस्तीन को आधिकारिक मान्यता दी थी।
अमरीकी राष्ट्रपति के अनुसार, यह कदम पिछले वर्ष 7 अक्टूबर के हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन के लिए एक “पुरस्कार” जैसा है। उन्होंने कहा कि दुनिया को निर्दोष लोगों की क्रूरतम हत्या को कभी नहीं भूलना चाहिए।
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए इस संगठन को खोखले शब्दों से भरा करार दिया और वैश्विक संघर्षों पर ठोस कार्रवाई की मांग की। नाटो देशों पर उन्होंने रूस से ऊर्जा खरीदकर उसे वित्तपोषित करने का आरोप लगाया और यूरोपीय देशों से अमरीका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि रूस ने शांति प्रक्रिया से किनारा किया तो उस पर कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे।
अमरीका के राष्ट्रपति ने यूक्रेन युद्ध पर टिप्पणी करते हुए इसे “लंबा खिंच चुका और गलत अनुमान पर आधारित” बताया, जबकि शुरुआत में माना गया था कि यह संघर्ष जल्दी खत्म होगा। ईरान को लेकर ट्रंप ने जोर देकर कहा कि ईरान को कभी परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती और उसे “विश्व का सबसे बड़ा आतंक प्रायोजक” करार दिया।