ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कहा है कि उत्तराखंड फार्मा हब के रूप में तेज़ी से उभर रहा है, लेकिन कुछ बाहरी तत्व यहां की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कालानी ने देहरादून स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में बनने वाली दवाएं गुणवत्ता मानकों के अनुसार तैयार की जाती हैं और बड़ी मात्रा में विदेशों में निर्यात भी होती हैं।
उन्होंने बताया कि हाल में जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, वे नकली नहीं, बल्कि तकनीकी कमियों के कारण फेल हुए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय लैब की जांच रिपोर्ट आने से पहले दवाओं को नकली न बताया जाए, क्योंकि इससे कंपनी की ब्रांड और छवि को नुकसान पहुंचता है।
एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि अधिकांश मामलों में सैंपल पीएच अंतर, डिसइंटीग्रेशन या लेबलिंग की त्रुटियों के कारण फेल होते हैं, न कि गुणवत्ता में कमी के कारण। महासचिव संजय सिकारिया ने बताया कि ऐसी तकनीकी कमियों की पुष्टि के लिए कोलकाता स्थित सेंट्रल लैब में पुनः जांच जरूरी होती है।