विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ० जितेन्द्र सिंह ने स्वास्थ्य देखभाल शोध क्षेत्र में वैश्विक मानक प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के प्रयासों पर बल दिया है। डॉ० सिंह ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसिस के 54वें स्थापना दिवस और दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण, शोध और उद्योग का एकीकरण इस दिशा में बढने का रास्ता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष, परमाणु और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने से निजी क्षेत्र और जनता के बीच अंतराल को भरने में मदद मिली है। स्नातक स्तर पर मेडिकल की सीटें 45 हजार से बढाकर अब करीब एक लाख 56 हजार करने से चिकित्सा शिक्षा का देश में लोकतांत्रिकरण हुआ है और मेडिकल करियर में महिलाओं को अधिक अवसर मिले हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत और जनऔषधि केन्द्रों जैसी योजनाओं से भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली सुगम, उपलब्ध और किफायती हो गई है।
डॉ० सिंह ने छात्रों से वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार करने की दिशा में काम करने का अनुरोध किया। केन्द्रीय मंत्री ने जैव प्रौद्योगिकी और शोध में हाल ही की सफलताओं का उल्लेख किया। उन्होंने छात्रों को पुरस्कार, पदक और प्रमाण पत्र भी प्रदान किये।
इस अवसर पर संस्थान की 54 वर्षीय यात्रा के उपलक्ष्य में एक स्मारिका भी जारी की गई।