दिसम्बर 14, 2025 8:58 अपराह्न

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प्रौद्योगिकी मानवीय निर्णय क्षमता को बढ़ाने का साधन है, उसका स्थान नहीं: मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत

मुख्य न्यायाधीश न्‍यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा है कि प्रौद्योगिकी, मानवीय निर्णय क्षमता को बढ़ाने के लिए है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी मानवीय निर्णय क्षमता की जगह नहीं ले सकती।  न्यायमूर्ति कांत ने आज एक संगोष्ठी में कहा कि कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी बहुत उपयोगी साबित हुई। उन्‍होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रौद्योगिकी के अपने नकारात्मक पहलू भी हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि गरीबों, बुजुर्गों और डिजिटल रूप से अपरिचित लोगों को बाहर रखने वाला सुधार नहीं बल्कि प्रतिगामी है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को न्याय का विकल्‍प नहीं बल्कि उसका सेवक बने रहना चाहिए। न्‍यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों से न्यायिक संरचना के हर स्तर पर बाधा उत्पन्न होती है। अदालतों में अपने अनुभव को साझा करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लंबित मामलों को निपटाने का सबसे बड़ा तात्कालिक उपाय वैकल्पिक विवाद समाधान यानी विशेष मध्यस्थता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने लोक अदालत प्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत अभियानों में यह एक स्थायी सफलता रही है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया भर में सबसे प्रभावी जमीनी स्तर की न्याय व्यवस्थाओं में से एक है।

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