प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों से विनिर्माण और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने तथा भारत को वैश्विक सेवा केन्द्र बनाने का आग्रह किया है। नई दिल्ली में मुख्य सचिवों के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन का शुभारंभ करेगा। उन्होंने प्रत्येक राज्य से इसे शीर्ष प्राथमिकता देकर वैश्विक कंपनियों को आकृष्ट करने के लिए बुनियादी ढ़ांचा सृजित करने का आग्रह किया। विकसित भारत के लिए मानव संसाधन विषय पर तीन दिन का यह सम्मेलन इस महीने की 26 तारीख को शुरू हुआ था।
भारत की जनसांख्यिकी उपलब्धि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की लगभग 70% आबादी कार्यशील वर्ग में है, जिससे आर्थिक प्रगति के लिए विशिष्ट अवसर उपलब्ध है। इससे विकसित भारत की ओर देश की यात्रा को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब युवा आबादी की क्षमता से सुधार एक्सप्रेस पर सवार है और इस जनसांख्यिकी उपलब्धि को और सशक्त बनाना सरकार प्राथमिकता है।
विकसित भारत को गुणवत्ता और उत्कृष्टता का पर्याय बताते हुए श्री मोदी ने सभी हितधारकों से औसत परिणामों से आगे निकलने का आग्रह किया। सुशासन, सेवा और विनिर्माण की गुणवत्ता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेड इन इंडिया लेबल को उत्कृष्टता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रतीक बनाना होगा।
प्रधानमंत्री ने आयात पर निर्भरता कम करने और देश की आर्थिक मजबूती के लिए केन्द्र और राज्यों से घरेलू विनिर्माण के लिए एक सौ उत्पाद की पहचान करने का आग्रह किया। उन्होंने बेहतर कौशल विकास रणनीतियां बनाने के लिए देश और वैश्विक स्तर पर उपलब्ध विशेषज्ञता का लाभ उठाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा पर्यटन क्षेत्र युवाओं के लिए आजीविका सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने राज्यों से अपने क्षेत्र में कम से कम एक विश्व-स्तरीय पर्यटन स्थल विकसित करने को कहा। उन्होंने कहा कि 2036 ओलिंपिक की मेजबानी हासिल करने के लिए देश में विश्वस्तरीय बुनियादी ढाचा और खेल कूद सुविधाएं सुनिश्चित करनी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को विश्व का पसंदीदा खान-पान स्थल बनाना होगा और इसके लिए कृषि और दुग्ध उत्पादों तथा मत्स्य क्षेत्र की गुणवत्ता बढ़ानी होगी। उन्होंने राज्यों से महत्वपूर्ण पांडुलिपियों के डिजिटीकरण के लिए ज्ञान भारतम् मिशन के उपयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य अपने यहां उपलब्ध पांडुलिपियों के डिजिटकीकरण का अभियान शुरू कर सकते हैं। उन्होंने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से क्षमता निर्माण आयोग के साथ मिलकर योजनाएं तैयार करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राज्य को इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श के आधार पर दस वर्ष की कार्य योजना बनानी चाहिए और प्रौद्योगिकी की मदद से इनकी प्रगति पर नियमित निगरानी रखनी चाहिए।
तीन दिन के सम्मेलन में समायोजी, समावेशी और भविष्य अनुकूल कार्यबल तैयार करने के लिए बाल शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास, खेल कूद और अन्य गतिविधियों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ।