प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आर्य समाज एक ऐसा संगठन है कि जो निर्भीक होकर भारतीयता की बात करता है। उन्होंने कहा कि यह निष्ठावान राष्ट्रवादियों का संगठन है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाला लाजपत राय और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा ग्रहण की। आज दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि दुर्भाग्यवश राजनीतिक कारणों से स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज की भूमिका को वह सम्मान नहीं मिला जिसका वह अधिकारी था। श्री मोदी ने कहा कि आर्य समाज के 150 वर्ष पूरे होने का अवसर केवल समाज या संप्रदाय के एक हिस्से से नहीं बल्कि समग्र भारत की वैदिक पहचान से जुड़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानन्द महान स्वप्नदर्शी थे। उन्होंने समझ लिया था कि भारत की सच्ची प्रगति के लिए केवल औपनिवेशिक शासन से मुक्त होना नहीं, बल्कि समाज में जड़ जमाए अन्यायों से छुटकारा पाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद ने भेद-भाव और छुआ-छूत का विरोध किया तथा समावेशी और समानता पूर्ण समाज पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अनेक मायनों में विशेष है। यहां की भूमि, सभ्यता और वैदिक परम्पराएं शाश्वत हैं क्योंकि प्रत्येक दौर में जब भी नई चुनौतियां उभरी हैं और नए सवाल खड़े हुए हैं, कोई न काई महान व्यक्तित्व सटीक उत्तरों के साथ सामने आया है।
श्री मोदी ने कहा कि केवल दो दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी और उनके साथ थीं- स्क्वैड्रन लीडर शिवांगी सिंह। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश की बेटियां लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं और ड्रोन दीदी बनकर आधुनिक कृषि को भी बढ़ावा दे रही हैं। आज देशवासी गर्व से कह सकते हैं कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित में महिला स्नातकों की सर्वाधिक संख्या भारत में है। आज महिलाएं विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नेतृत्व भूमिकाएं भी निभा रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि आज भारत सतत विकास की दिशा में प्रमुख वैश्विक स्वर बनकर उभरा है।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी आयोजन को संबोधित किया।
यह कार्यक्रम महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और समाज के लिये आर्य समाज सेवा की 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ज्ञान ज्योति उत्सव तहत आयोजित हुआ। देश विदेश से आर्य समाज इकाईयों के प्रतिनिधियों की भागीदारी महर्षि दयानंद के आदर्शों और संगठन की वैश्विक पहुंच का प्रमाण है। इस अवसर पर शिक्षा, समाज सुधार और आध्यात्मिक उत्थान के माध्यम से सेवा के 150 स्वर्णिम वर्ष शीर्षक से प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।