प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत ने इस वर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा, खेल और विज्ञान से लेकर विश्व के सबसे बड़े मंचों तक- हर जगह अपनी मजबूत छाप छोड़ी है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 ने हर भारतीय को गौरवान्वित करने वाले कई क्षण दिए। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस वर्ष हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया। उन्होंने कहा कि दुनिया ने स्पष्ट रूप से देखा कि आज का भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करता।
श्री मोदी ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर लोगों के उत्साह और जोश की प्रंशसा की। उन्होंने लोगों से हैशटैग वंदेमातरम 150 के साथ अपने संदेश और सुझाव भेजने का अनुरोध किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल के लिए भी वर्ष 2025 स्मरणीय रहा। भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती। महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्वकप जीता। श्री मोदी ने कहा कि दृष्टिबाधित टी-20 क्रिकेट विश्वकप जीतकर भारत की बेटियों ने इतिहास रचा। उन्होंने कहा कि एशिया कप टी-20 क्रिकेट में भी तिरंगा गौरव से लहराया। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कई पदक जीतने वाले पैरा-एथलीटों की भी प्रंशसा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाई। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। श्री मोदी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े कई प्रयास भी 2025 की पहचान बने।
प्रधानमंत्री ने भारत में चीतों की संख्या 30 से अधिक होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष आस्था, संस्कृति और भारत की अनूठी विरासत का संगम देखने को मिला। श्री मोदी ने कहा कि वर्ष के आरंभ में प्रयागराज महाकुंभ ने पूरी दुनिया को चकित कर दिया और वर्ष के अंत में अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह ने हर भारतीय को गौरवान्वित किया।
प्रधानमंत्री ने स्वदेशी के लिए लोगों के उत्साह पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लोग केवल उन्हीं वस्तुओं को खरीद रहे हैं जिन पर भारतीयों के पसीने की कमाई और भारतीय मिट्टी की सुगंध है। उन्होंने कहा कि देश नई आशाओं और नए संकल्पों के साथ 2026 में प्रवेश के लिए तैयार है। श्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि वर्ष 2026 विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगा। उन्होंने सभी को वर्ष 2026 की शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया बड़ी आशा के साथ भारत की ओर देख रही है और इसका सबसे बड़ा कारण युवा शक्ति है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों, नवाचारों और प्रौद्योगिकी के विस्तार ने दुनिया को बहुत प्रभावित किया है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि ‘विकसित भारत युवा नेता संवाद’ का दूसरा संस्करण शीघ्र ही आयोजित किया जाएगा। अगले वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दिन ‘युवा नेता संवाद’ भी आयोजित होगा और वे स्वयं इसमें भाग लेंगे। उन्होंने इस कार्यक्रम में युवाओं की बढ़ती भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। कुछ दिन पहले, इससे संबंधित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में पांच लाख से अधिक युवाओं ने भाग लिया था। एक निबंध प्रतियोगिता में भी विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए थे। इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन’ में विचारों को अमल में लाया जाता है। इस वर्ष के हैकेथॉन का समापन इसी महीने हुआ है। इसमें विद्यार्थियों ने 80 से अधिक सरकारी विभागों की 270 से अधिक समस्याओं पर काम किया। विद्यार्थियों ने यातायात सहित वास्तविक जीवन की चुनौतियों से संबंधित समाधान प्रस्तुत किए। युवाओं ने वित्तीय धोखाधड़ी तथा डिजिटल अरेस्ट जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए अपने सुझाव दिए। गांवों में डिजिटल बैंकिंग के लिए साइबर सुरक्षा ढांचे पर भी सुझाव दिए गए। श्री मोदी ने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों में 13 लाख से अधिक विद्यार्थियों और छह हजार से अधिक संस्थानों ने ‘स्मार्ट इंडिया हैकथॉन’ में भाग लिया है। उन्होंने युवाओं से इन हैकथॉन में भाग लेने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने नई पीढ़ी की नई सोच और नए तरीकों के साथ भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की एक छोटी-सी संगीत कक्षा अब ‘गीतांजलि’ में तब्दील हो गई है। यह अब सिर्फ एक कक्षा नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, लोक परंपराओं और शास्त्रीय संगीत शैलियों के साथ परिसर का सांस्कृतिक केंद्र बन गई है।
श्री मोदी ने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने का यह प्रयास केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के विभिन्न कोनों में रहने वाले भारतीय भी इसमें योगदान दे रहे हैं। उन्होंने दुबई में स्थित कन्नड़ पाठशाला का जिक्र किया, जहां बच्चों को कन्नड़ लिखना और बोलना सिखाया जाता है। आज इससे एक हजार से अधिक बच्चे जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने मणिपुर के मोइरांगथम सेठ की चर्चा की जिन्होंने बिजली की गंभीर समस्या से निपटने के लिए सौर पैनल लगाने का अभियान शुरू किया। इस अभियान के फलस्वरूप आज उनके इलाके के सैकड़ों घरों के साथ-साथ मणिपुर के कई स्वास्थ्य केंद्रों को भी सौर ऊर्जा मिल रही है। श्री मोदी ने कहा कि इस प्रयास से मणिपुर की महिलाओं, स्थानीय मछुआरों और कलाकारों को भी लाभ हुआ है।
प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के माध्यम से सरकार प्रत्येक लाभार्थी परिवार को सौर पैनल लगाने के लिए लगभग 75 हजार से 80 हजार रुपये की राशि प्रदान कर रही है।
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला का जिक्र किया, जहां एक पुरातत्वविद् ने कुछ ऊंचे टीले देखे। इन टीलों के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद पता चला कि ये एक विशाल मानव निर्मित संरचना के अवशेष थे। श्री मोदी ने बताया कि कश्मीर से हजारों किलोमीटर दूर, फ्रांस के एक संग्रहालय के अभिलेखागार में एक पुरानी, धुंधली तस्वीर मिली। उस तस्वीर में बारामूला के तीन बौद्ध स्तूप दिखाई दे रहे थे। प्रधानमंत्री ने कश्मीर के गौरवशाली अतीत के सामने आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। इसका इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के जहांपोरा का बौद्ध परिसर लोगों को कश्मीर के अतीत और उसकी समृद्ध पहचान की याद दिलाता है।
प्रधानमंत्री ने फिजी में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए की जा रही एक पहल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वहां की नई पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए कई स्तरों पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
पिछले महीने, फिजी के राकी-राकी के एक स्कूल में पहली बार तमिल दिवस मनाया गया। इसमें बच्चों ने तमिल कविताएं सुनाईं, भाषण दिए और आत्मविश्वास के साथ मंच पर अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया। श्री मोदी ने कहा कि देश में तमिल भाषा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही, उनके संसदीय क्षेत्र काशी में चौथा ‘काशी तमिल संगमम’ आयोजित किया गया था जिसमें तमिल सीखने पर विशेष जोर दिया गया। ‘तमिल सीखें – तमिल करकलाम’ विषय पर वाराणसी के 50 से अधिक विद्यालयों में विशेष अभियान भी चलाए गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिल विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है और तमिल साहित्य भी अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने बच्चों और युवाओं में तमिल भाषा के लिए नई रुचि देखकर प्रसन्नता व्यक्त की।
अगले महीने देश का 77वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अवसर पर लोगों के दिल स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता से भर जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले कई नायकों को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। उन्होंने कहा कि ओडिशा की पार्वती गिरि ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनकी जन्मशती जनवरी 2026 में है। पार्वती गिरि ने सोलह वर्ष की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था और अपना जीवन समाज सेवा और जनजातीय कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कई अनाथालय स्थापित किए। श्री मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पार्वती गिरि का प्रेरणादायक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर सरकार ने एक विशेष वेबसाइट बनाई थी। इसमें एक खंड “गुमनाम नायकों” को समर्पित है। प्रधानमंत्री ने श्रोताओं से अनुरोध किया कि वे इस वेबसाइट पर जाकर उन महान हस्तियों के बारे में जानकारी लें जिन्होंने देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री ने एंटीबायोटिक दवाओं के संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद -आईसीएमआर की एक रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि निमोनिया और मूत्र मार्ग संक्रमण जैसी कई बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाएं निष्प्रभावी हो रही हैं। इसका एक बड़ा कारण लोगों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग चिकित्सक के परामर्श से ही किया जाना चाहिए।
पारंपरिक कला के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि आंध्रप्रदेश के नरसपुरम जिले की लेस कला पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने कहा कि यह कला पीढ़ियों से महिलाओं के हाथों में रही है और महिलाओं ने धैर्य और लगन से न सिर्फ इसे संरक्षित रखा है,बल्कि इसे नए आयाम के साथ आगे भी बढ़ाया जा रहा है। आंध्रप्रदेश सरकार और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक-नाबार्ड संयुक्त रूप से कारीगरों को नई डिजाइन सिखा रहे हैं, बेहतर कौशल प्रशिक्षण दे रहे हैं और उन्हें नए बाजारों से जोड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने नरसपुरम लेस को जीआई टैग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। आज इससे 500 से अधिक उत्पाद बनाए जा रहे हैं और 250 से अधिक गांवों की लगभग एक लाख महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।
श्री मोदी ने मणिपुर के चुड़ाचांदपुर की मार्गरेट रामथारसिम के प्रयासों की भी प्रशंसा की जिन्होंने पारंपरिक उत्पादों, हस्तशिल्प और बांस तथा लकड़ी से बनी वस्तुओं को व्यापक दृष्टि से देखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक हस्तशिल्पी के तौर पर उन्होंने दिल्ली सहित कई राज्यों में अपने उत्पादों के लिए बाजार विकसित किया है। आज मार्गरेट की इकाई में 50 से अधिक कलाकार कार्यरत हैं।
श्री मोदी ने कहा कि मणिपुर के सेनापति जिले की निवासी चोखोने कृचेना मणिपुर का एक और उदाहरण हैं जिनका पूरा परिवार पारंपरिक खेती में लगा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने फूलों की खेती को अपना जुनून बनाया, इस काम को बाजारों से जोड़ा और अपने क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाया। श्री मोदी ने कहा कि जब पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ा जाता है, तो यह आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख साधन बन जाता है।
प्रधानमंत्री ने कच्छ रण महोत्सव के बारे में भी बात की। 23 नवंबर को शुरू हुआ यह उत्सव 20 फरवरी तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कच्छ की लोक संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि कच्छ के रण की भव्यता को निहारना एक सुखद अनुभव है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने देश के कोने-कोने और विदेशों से भी दो लाख से अधिक लोगों ने कच्छ रण महोत्सव में भाग लिया है।
प्रधानमंत्री ने सभी से स्वस्थ रहने और फिट इंडिया अभियान में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि शीतकाल व्यायाम के लिए उपयुक्त होता है।