प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि मेक इन इंडिया पहल के कारण भारत विनिर्माण शक्ति केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान से निर्धन और मध्यम वर्ग तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बहुत फायदा हुआ है। इस अभियान ने प्रत्येक वर्ग के लोगों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर दिया है। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम की 114वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया पहल की सफलता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान की सफलता में देश के बड़े उद्योगों के साथ-साथ छोटे दुकानदारों का योगदान भी शामिल है जिससे प्रत्येक सेक्टर को लाभ हुआ है, निर्यात बढा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है और वोकल फॉर लोकल को बढावा दे रही है। महाराष्ट्र के भंडारा जिले का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां 50 स्व-सहायता समूह तसर सिल्क के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, यह मेक इन इंडिया की मूल भावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने लोगों से आने वाले त्यौहारों के दौरान देश में बने उत्पाद खरीदने का आग्रह किया।
रोजगार में बदलावों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नये सेक्टर के उभरने के साथ-साथ रोजगार की प्रकृति भी बदल रही है। उन्होंने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रतिभा और रचनात्मकता को प्रोत्साहन देने के लिए क्रिएट इन इंडिया थीम के तहत 25 चुनौतियां शुरू की हैं। श्री मोदी ने देश के सृजनकारों से wavesindia.org <<http://wavesindia.org/> पर इस चुनौती में भाग लेने का आग्रह किया।
इस वर्ष दो अक्तूबर को दस वर्ष पूरा कर रहे स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस मिशन की ही सफलता है कि ‘कचरे से संपदा’ मंत्र लोगों में लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब लोगों ने रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल की बात करनी शुरू कर दी है। उन्होंने इस मिशन को जन अभियान बनाने वाले लोगों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सफलता महात्मा गांधी के प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने अपना पूरा जीवन इस उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया। श्री मोदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सीमावर्ती गांव झाला का उल्लेख किया, जहां के युवाओं ने अपने गांव को साफ रखने के लिए विशेष पहल धन्यवाद प्रकृति शुरू की है। प्रधानमंत्री ने पुद्दुचेरी के माहे क्षेत्र, विशेषकर समुद्र तटों को स्वच्छ बनाने के लिए युवाओं की टीम का नेतृत्व करने वाली महिला राम्या की भी सराहना की। उन्होंने केरल के कोझिकोड निवासी 74 वर्षीय सुब्रहमण्यम के प्रयासों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने 23 हजार से भी अधिक कुर्सियों की मरम्मत कर उन्हें फिर से उपयोग में लाने योग्य बना दिया। श्री मोदी ने लोगों से स्वच्छता अभियान में भाग लेने का आग्रह किया।
पौधरोपण महाअभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ में भाग लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे समाज को इसके आश्चर्यजनक परिणाम मिले हैं जो कि निश्चित रूप से प्रेरणादायी हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना की उपलब्धियों की सराहना की जिन्होंने निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक पौधे लगाकर नया रिकार्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि देश के हजारों विद्यालय भी बड़े उत्साह से इस अभियान में भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के, के० एन० राजशेखर का उदाहरण देते हुए कहा कि श्री राजशेखर ने डेढ हजार से अधिक पौधे लगाये हैं। श्री मोदी ने दुर्लभ और उपयोगी जड़ी-बूटियों का उद्यान सृजित करने के लिए तमिलनाडु में मदुरई निवासी सुभाश्री के प्रयासों की भी सराहना की।
जल संरक्षण का महत्व रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसात के दिनों में संरक्षित किया गया पानी जल के अभाव वाले महीनों में बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। कैच द रेन अभियान की यही मूल भावना है। बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महिलाओं ने यहां की घुरारी नदी को नया जीवन दिया है। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं ने बोरियों में बालू भरकर बांध बनाया और वर्षा जल को बर्बाद होने से रोक दिया। श्री मोदी ने जल संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश में डिंडोरी के रयपुरा और छतरपुर की महिलाओं के प्रयासों की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के ऐसे प्रयास देश के प्रत्येक भाग में किए जाने चाहिए जिससे जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी।
विकास भी विरासत भी, मंत्र पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने हाल के अमरीका दौरे में अमरीका द्वारा करीब तीन सौ प्राचीन कलाकृतियां लौटाये जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने निजी आवास में उन्हें इनमें से कुछ कलाकृतियां दिखाईं। ये कलाकृतियां-टेराकोटा, पाषाण, आइवरी, लकडी, तांबे और कांसे से बनी हैं। श्री मोदी ने इन्हें बनाने वाले शिल्पकारों की सराहना की। ऐसी कलाकृतियों की तस्करी को गंभीर अपराध बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इन बहुमूल्य कलाकृतियों को वापस लाने के लिए अनेक देशों के संपर्क में है।
मातृभाषा के महत्व पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में 20 हजार भाषाएं और बोलियां हैं। उन्होंने इन भाषाओं, विशेषकर संथाली भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों की सराहना की। श्री मोदी ने कहा कि डिजिटल नवाचार की मदद से संथाली को नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि ओडिशा के मयूरभंज के श्रीमान रामजीत टुडु, संथाली भाषा की ऑनलाइन पहचान के लिए अभियान चला रहे हैं।
मन की बात कार्यक्रम की 114वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कडी उनके लिए विशेष रूप से भावुक कर देने वाली है क्योंकि इसके साथ ही इस कार्यक्रम के दस वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दस साल पहले विजयदशमी के दिन तीन अक्टूबर को मन की बात कार्यक्रम शुरू हुआ था और इस वर्ष तीन अक्टूबर को नवरात्र का पहला दिन होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात के करोड़ों श्रोता इस यात्रा में उनके साथ रहे हैं और देश के प्रत्येक कोने से जानकारी उपलब्ध कराई है। मन की बात के श्रोताओं को इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि मन की बात ने साबित कर दिया है कि देश के लोग सकारात्मक सूचनाओं के लिए कितने उत्सुक और लालायित हैं। प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी, दूरदर्शन और प्रसार भारती से जुड़े लोगों की सराहना करते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों से ही ये कार्यक्रम इस महत्वपूर्ण पड़ाव तक पहुंच सका है। उन्होंने टी वी चैनलों, प्रिंट मीडिया और यू-ट्यूबर्स का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इसका प्रसारण किया और इस पर अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। श्री मोदी ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम बारह विदेशी भाषाओं के अतिरिक्त 22 भाषाओं में सुना जा सकता है।
त्योहारों के मौसम का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नवरात्र से शुरू होकर अगले दो महीनों तक देश में पूजा-अर्चना, व्रत-उपवास और उत्सव-उल्लास का माहौल रहेगा। प्रधानमंत्री ने आने वाले त्योहारों के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं।