विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा बहुत ही सफल रही है। उन्होंने न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान आयोजित सामुदायिक कार्यक्रम से स्पष्ट है कि अमरीका में भारतीय अमरीकी समुदाय ने कितना मजबूत संपर्क स्थापित किया है।
विदेश सचिव ने कहा कि भारतवासी दोनों देशों के बीच मजबूत सेतु हैं और प्रधानमंत्री मोदी इसे महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहा कि श्री मोदी की यात्रा ने प्रौद्योगिकी का महत्व भी रेखांकित किया है जो क्वाड संयुक्त वक्तव्य, भारत-अमरीका द्विपक्षीय वक्तव्य, मुख्य कार्यकारी अधिकारी विचार-विमर्श और होलटेक इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ बैठक से स्पष्ट है।
श्री मिस्री ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी विचार-विमर्श में, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के दौर में भारत में व्यवसाय के लिए व्यक्त किये गए उत्साह का भी उल्लेख किया। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों का महत्व भी रेखांकित हुआ है। उन्होंने विभिन्न वैश्विक नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय बैठकों का उल्लेख किया। श्री मिस्री ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों पर विचार-विमर्श किया तथा इसे और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कुवैत के युवराज के साथ हुई बैठक के बारे में श्री मिस्री ने कहा कि दोनों देशों ने भावी उच्चस्तरीय बैठकों को लेकर विचार-विमर्श किया। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने गजा संकट और जारी तनाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने फिर इस बात पर बल दिया कि दो राष्ट्र का समाधान ही इस क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल कर सकता है। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति ने भारत से मिले सहयोग के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि भारत स्थायी शांति बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। श्री मिस्री ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ हुई बैठक में श्री जेलेंस्की ने शांति बहाल करने और रूस के साथ संघर्ष समाप्त करने का रास्ता तलाशने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर हुई प्रगति के बारे में विदेश सचिव ने कहा कि पहली बार संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन परिपत्र में इस बारे में विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया गया है और यह एक अच्छी शुरुआत है। उन्होंने कहा कि भारत एक निश्चित समय सीमा में इस संदर्भ में तथ्य पूर्ण विचार-विमर्श आरंभ होने की प्रतीक्षा में है।