पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के निर्णय पर कोलंबो के स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र में पैनल चर्चा आयोजित की गई। गंगारामया महा विहार के उप-पदाधिकारी डॉ. किरिंदे अस्साजी थेरो, श्रीलंका में भारत के उप-उच्चायुक्त डॉ. सत्यंजल पांडे और बुद्धसासना, धार्मिक तथा सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय के सचिव रंजीत अरियारत्ने चर्चा में शामिल थे। श्रीलंका के विभिन्न विश्वविद्यालयों से भी पाली और बौद्ध अध्ययन के कई प्रमुख शिक्षाविदों ने चर्चा में भाग लिया।
इस दौरान डॉ. पांडे ने इस बात पर बल दिया कि पाली को एक शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देकर, भारत भाषा के साथ-साथ भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रचार और समझ के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. अस्साजी थेरो ने सभी भिक्षुओं की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
केंद्रीय विश्वविद्यालय बोधगया में ऐतिहासिक अध्ययन के प्रमुख, प्रोफेसर आनंद सिंह ने पाली भाषा के महत्व और शास्त्रीय भाषा के रूप में इसकी मान्यता पर एक वीडियो संदेश साझा किया है।