पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी-पी.टी.आई. के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन, तहरीक-ए-तहप्फुज आईन-ए-पाकिस्तान- टीटीएपी ने विवादास्पद 26वें और 27वें संविधान संशोधनों के पारित होने के बाद संविधान को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने का संकल्प लिया है। इससे पहले, देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने विवादास्पद संशोधनों के पारित होने के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। टीटीएपी ने कहा है कि अगले शुक्रवार को पाकिस्तान में ब्लैक डे के रूप में मनाया जाएगा।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गुरुवार को 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर हस्तक्षर किया था। यह विधेयक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को नई शक्तियाँ प्रदान करता है, जो अब रक्षा बलों के प्रमुख के रूप में कार्य करेंगे और जिससे देश की नौसेना और वायु सेना उनके अधीन आ जाएगी। इस संशोधन में एक नए संघीय संवैधानिक न्यायालय के गठन का प्रस्ताव शामिल है, जिसक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाएगी।। यह न्यायालय संवैधानिक मामलों, सरकारों के बीच विवादों और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में सुनी गई कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। न्यायालय अब देश के सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख कार्यों को संभालेगा, जिसमें मौलिक अधिकारों से जुड़े मामले भी शामिल हैं।
विपक्षी गठबंधन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि कल एक आपात बैठक में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष बैरिस्टर अली गौहर, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल के प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल, पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के अध्यक्ष महमूद खान अचकजई और अन्य नेता शामिल हुए। बैठक में मौजूदा सरकार पर देश चलाने में मौजूदा सरकार के सक्षम नहीं होने का आरोप लगाया गया। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि पाकिस्तान गृहयुद्ध के कगार पर है। एक प्रेस विज्ञप्ति में टीटीएपी ने कहा कि संशोधन संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ हैं और यह न्यायपालिका पर हमला है। इससे पहले, न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान ने पाकिस्तान के नव-स्थापित संघीय संवैधानिक न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।