सर्वोच्च न्यायालय ने आज पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य पिछड़ा वर्गों-ओबीसी की संशोधित सूची के कार्यान्वयन पर रोक लगाने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा एक विशेष अनुमति याचिका पर एक नोटिस जारी करते हुए अंतरिम रोक लगाई। शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के तर्क पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ओबीसी के वर्गीकरण को मंजूरी देने का अधिकार सिर्फ विधायिका के पास है। न्यायालय ने कहा कि आरक्षण, कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। न्यायमूर्ति गवई ने उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से असहमति जताई कि राज्य को 2012 के अधिनियम में संशोधन करने और इसकी अनुसूची में नए वर्ग जोड़ने के लिए विधानमंडल के समक्ष रिपोर्ट पेश करने और विधेयक पेश करने की आवश्यकता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 17 जून को ओबीसी-ए और ओ बी सी-बी समूहों के अंतर्गत 140 उप श्रेणियों के लिए आरक्षण देने के मामले में राज्य द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगाई थी।
सर्वोच्च न्यायालय दो सप्ताह के भीतर इस मामले की सुनवाई करेगा।