पंजाब में उद्योगपतियों और जनता ने कल शाम हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाए जाने का स्वागत किया है। किसानों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचे और वाहनों को हटा दिया गया है। हालांकि, अभी राजमार्ग वाहन आवागमन के लिए नहीं खोला गया है। फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य और कुछ अन्य मांगों को पूरा करने को लेकर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के कारण दोनों बॉर्डर एक वर्ष से अधिक समय से बंद थे।
लुधियाना के वर्ल्ड एमएसएमई फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने चौकियां खोलने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य को हर महीने 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और व्यापार 15 से 20 फीसदी तक कम हो गया है। फास्टनर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर सिंह भामरा ने भी कहा है कि राज्य के उद्योग को नुकसान के अलावा, नाकेबंदी आम जनता के लिए भी समस्याएँ पैदा कर रही है।
हमारे जालंधर संवाददाता ने बताया कि जिला स्तर पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राज्य में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। किसान यूनियनों ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर और अन्य की गिरफ्तारी के खिलाफ उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने और सड़क जाम करने का फैसला किया है। हालांकि कई विपक्षी नेताओं ने किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए आम आदमी पार्टी की निंदा की, पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य के आर्थिक विकास के लिए यह कदम जरूरी था।