केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पिछले 11 वर्षों में अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे को विकसित करने में काफी प्रगति हुई है। कल नई दिल्ली में कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी क्रेडाई के राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाईन, भारतमाला, सागरमाला और पर्वतमाला सहित कई प्रमुख पहलों ने शहरी विकास को बेहद मज़बूत किया है और भारत को दुनिया के अग्रणी आधारभूत ढांचा सुविधा सम्पन्न देशों में से एक बनाने के लिए स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रयासों के सकारात्मक और वास्तविक परिणाम मिले हैं।
श्री शाह ने निर्माताओं और औद्योगिक निकायों से सतत और उत्तरदायी विकास के साझा दृष्टिकोण के प्रति मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ग्रीन बिल्डिंग मानदंड, ऊर्जा सक्षम प्रारूपों, जल का पुनर्चक्रण, वर्षा जल खेती प्रणाली की व्यवस्था और वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन को हाउसिंग सेक्टर में नए रूप में प्रयोग किया जाए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे बताया कि रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी इस सेक्टर में सुधार के लिए एक संरचनात्मक खोज थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून ने घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करने, जमीनी लेन-देन में पारदर्शिता लाने और निर्माण की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद की है।
श्री शाह ने बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर को अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों से सबसे ज़्यादा फ़ायदा हुआ है। उन्होंने बताया कि सीमेंट, मार्बल और ग्रेनाइट सहित कई निर्माण सामग्री पर हाल ही में जीएसटी कम किया गया है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, इन नए सुधारों से भवन निर्माण कार्य की लागत में पांच से सात प्रतिशत की कमी की संभावना बनी है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्र निर्माण शक्ति के रूप में रियल एस्टेट क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया, जो देश के आर्थिक विकास, शहरी भविष्य और जीवन की गुणवत्ता को आकार देता है। सेक्टरों का ऊर्जा इस्तेमाल, पानी की खपत, कचरा पैदा होने, वायु की गुणवत्ता और शहरी गर्मी पर असर के बारे में बताते हुए श्री यादव ने कहा कि रियल एस्टेट भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के लिए बहुत ज़रूरी है। इसमें 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य भी शामिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि संवहनीयता अब कोई विकल्प नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए तैयार विकास की नींव है। शहरों पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर को देखते हुए, श्री यादव ने जलवायु के अनुकूल शहरी योजना बनाने की बात कही, जिसमें बाढ़ से बचने वाले ले-आउट, गर्मी को झेलने वाले पदार्थ, ज़्यादा हरियाली और टिकाऊ गतिशीलता समाधान शामिल हैं।