नीति आयोग ने अपनी कर नीति कार्य पत्र श्रृंखला के अंतर्गत पहला दस्तावेज जारी किया है। यह दस्तावेज कर निश्चितता में सुधार, अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने और भारत में विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी प्रतिष्ठानों तथा लाभ निर्धारण में अधिक पारदर्शिता लाने पर केंद्रित है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने मीडिया को बताया कि इस दस्तावेज का उद्देश्य वैकल्पिक प्रकल्पित कराधान योजना शुरू करना है जो विदेशी कंपनियों को करों का भुगतान करने का सरल और अधिक पूर्वानुमानित तरीका प्रदान करती है।
इस नीति के प्रमुख लाभों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि विस्तृत ऑडिट से गुजरने के बजाय, कंपनियां अपने उद्योग के आधार पर, अपने राजस्व के निश्चित प्रतिशत के आधार पर कर का भुगतान करना चुन सकती हैं। इस वैकल्पिक योजना से मुकदमेबाजी कम होगी, अनुपालन लागत में कटौती होगी जिससे भारत में व्यापार करना आसान हो जाएगा।
दस्तावेज में स्पष्ट घरेलू कानूनों, मजबूत विवाद समाधान प्रणालियों और कर अधिकारियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण की भी सिफारिश की गई है। इन उपायों का उद्देश्य भारत की कर व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना और मेक इन इंडिया जैसी पहलों सहित देश के व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण का समर्थन करना है।