नागालैंड सरकार ने नागालैंड शराब पूर्ण निषेध अधिनियम 1989 पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आज मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लिया गया। राज्य सरकार के प्रवक्ता के.जी. केन्ये ने कहा कि तीन दशकों से लागू होने के बाद अधिनियम की समीक्षा नहीं की गई है, इसलिए इस पर पुनर्विचार होना चाहिए। श्री केन्ये ने कहा कि अवैध शराब के अनियमित प्रवाह से युवा पीढ़ी के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह ही नागालैंड में पूर्ण शराबबंदी सफल नहीं हुई है। उन्होंने संकेत दिया कि इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में उठाया जा सकता है।