नये आपराधिक कानूनों में पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया गया है। नये कानून का उद्देश्य न्याय प्रणाली की दक्षता, निष्पक्षता और जवाबदेही को बढ़ाना है। यह पीड़ित को आपराधिक मुकदमें में एक हितधारक के रूप में मान्यता देता है, भागीदारी अधिकार प्रदान करता है और पीड़ित के लिए सूचना का विस्तारित अधिकार प्रदान करता हैं पीड़ितों को अभूतपूर्व अधिकार और अवसर प्रदान करते हुए, पीड़ितों को आपराधिक न्याय प्रणाली के केन्द्र में रखने के लिए कानून में सुधार किया गया है।
पीड़ितों को अब अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, जिससे आपराधिक मामलों में हितधारकों के रूप में उनकी भूमिका मजबूत होती है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 360 का उद्देश्य केस वापसी की अनुमति देने से पहले पीड़ितों की आवाज को शामिल करना सुनिश्चित करके सीआरपीसी की धारा 321 में ऐतिहासिक कमी को भरना है।