सरकार ने आज नई दिल्ली में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज-एनएएफएलडी पर सभी चिकित्सा अधिकारियों के लिए संशोधित परिचालनगत दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण नियमावली जारी किये। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा कि ये दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल एनएएफएलडी से पीड़ित व्यक्ति की पहचान करने में निर्णायक हो सकते हैं।
श्री चंद्र ने बताया कि ये संशोधित दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एक ढांचा प्रदान करेंगे तथा नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की पहचान करने की क्षमता विकसित करने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अगले वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा में एनएएफएलडी से संबंधित एक समिति गठित करेगी।
आकाशवाणी से विशेष बातचीत में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज- आईएलबीएस के निदेशक और कुलपति डॉक्टर एस के सरीन ने कहा कि फैटी लिवर रोग देश में हमेशा ही रहा है लेकिन लोग पहले इससे अवगत नहीं थे। उन्होंने कहा कि अधिक वजन, मोटापा, आनुवांशिकी, शराब और कुछ दवाओं का सेवन फैटी लिवर रोग होने के सामान्य कारण हैं।