प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज और कल नई दिल्ली में मुख्य सचिवों के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। कल से शुरू हुए तीन दिन के इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं पर सतत बातचीत के माध्यम से केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री के सहकारी संघवाद के दृष्टिकोण पर आधारित यह सम्मेलन केंद्र और राज्य को एक मंच पर लाकर, देश की मानव पूंजी क्षमता और समावेशिता को बढ़ाने तथा भविष्य में विकास की गति तेज करने के लिए एकीकृत रोडमैप तैयार करेगा।
इस सम्मेलन में ‘विकसित भारत के लिए मानव पूंजी’ विषय पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और रणनीतियों को शामिल किया जाएगा। इस दौरान पांच प्रमुख क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। यह क्षेत्र हैं- प्रारंभिक बाल्यावस्था, स्कूली और उच्च शिक्षा तथा कौशल विकास, खेल और पाठ्येतर गतिविधियां।
इस सम्मेलन में छह विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे जो राज्यों में विनियमन में ढील; शासन में प्रौद्योगिकी – अवसर, जोखिम और शमन; स्मार्ट आपूर्ति श्रृंखलाओं और बाजार संबंधों के लिए एग्रीस्टैक; एक राज्य, एक विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल; आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी; और वामपंथी उग्रवाद के बाद के भविष्य के लिए रणनीतियों पर केंद्रित होंगे। सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा क्षेत्र-विशेषज्ञ भी भाग ले रहे हैं।