आज नई दिल्ली में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स सम्मिट का उद्घाटन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि चाहे आतंकवाद हो या अशांति फैलाने वाले माओवादी तत्व, उनकी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है।
निवेशकों से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने का आग्रह करते हुए उन्होने कहा कि पूर्वोत्तर अब अवसरों की भूमि बन रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर ऊर्जा और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों के लिए प्रमुख केन्द्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर विविधतापूर्ण भारत का सबसे विविध क्षेत्र है और यह विविधता देश की ताकत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ईस्ट का मतलब है – सशक्त बनाना, कार्य करना, मजबूत बनाना और बदलना। उन्होंने कहा कि एक समय था जब पूर्वोत्तर को केवल सीमांत क्षेत्र कहा जाता था। श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर पर्यटन से जुडे सभी क्षेत्रों का संपूर्ण पैकेज है और यहां वैश्विक सम्मेलन, अन्य आयोजन और वैवाहिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर जैव अर्थव्यवस्था और बांस उद्योग, चाय उत्पादन और पेट्रोलियम, खेल और कौशल तथा पर्यावरण पर्यटन का पर्याय बन गया है।
श्री मोदी ने माना कि पूर्वोत्तर को अतीत में बहुत चुनौतियों का सामना करना पडा परन्तु अब वह अवसरों की भूमि के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि अरूणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और असम में भूपेन हजारिका सेतु जैसी परियोजनाओं में हजारों करोड़ों रूपये का निवेश किया गया है।
प्रधानमंत्री ने पिछले दशक में प्राप्त उपलब्धियों का भी उल्लेख किया जिनमें 11 हजार किलोमीटर के राजमार्ग, नई रेललाईनों का विस्तार, हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी करना, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर जलमार्गों का विकास तथा सैंकडों मोबाइल टावर्स की स्थापना शामिल है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि उद्योगों को ऊर्जा की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक हजार छह सौ किलोमीटर पूर्वोत्तर गैस ग्रिड की स्थापना की गई है।
प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव को याद करते हुए कहा कि आज का कार्यक्रम पूर्वोत्तर में निेवेश का जश्न मनाने का दिन है। श्री मोदी ने शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों को लेकर उत्साह का माहौल है। श्री मोदी ने सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को निवेश के अनुकूल वातावरण को तैयार करने के लिए उन्हें बधाई दी।
इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में आज इस क्षेत्र में 17 हवाई अड्डे हैं, जहां से दो हजार से अधिक उड़ानें संचालित होती हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में परिवर्तन की बयार बह रही है।
श्री सिंधिया ने विश्वास जताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया का अंतरराष्ट्रीय गलियारा बन जाएगा। श्री सिंधिया ने निवेशकों और व्यापार जगत के प्रमुखों से मेक इन इंडिया, मेक इन द नॉर्थ ईस्ट और मेक फॉर द वर्ल्ड अभियान में भागीदारी का आग्रह किया।
दो दिन के इस सम्मेलन का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को अवसरों की भूमि के रूप में उजागर करना और वहां वैश्विक तथा घरेलू निवेश आकर्षित करना है। सम्मेलन में मंत्रिस्तरीय सत्र, व्यापार-से-सरकार सत्र, बैठकें, स्टार्टअप और नीति प्रदर्शनी तथा निवेश प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार और केंद्रीय मंत्रालयों की संबंधित पहल शामिल होंगी।
निवेश प्रोत्साहन के मुख्य फोकस क्षेत्रों में पर्यटन और आतिथ्य, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध क्षेत्र, कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कौशल विकास, सूचना प्रौद्योगिकी और इसकी सक्षम सेवाएँ, बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और मनोरंजन और खेल शामिल हैं। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य प्रमुख हितधारकों, निवेशकों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाना है।