पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक सम्मेलन आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में शुरू हुआ। इसका आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन-डब्ल्यू एच ओ और आयुष मंत्रालय ने संयुक्त रूप से किया है। सम्मेलन में आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने पारंपरिक चिकित्सा में भारत के लंबे अनुभव का उल्लेख करते हुए अनुसंधान, गुणवत्ता मानकों और वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 2016 में शुरू हुआ यह सहयोग वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसिस ने सदियों पुराने ज्ञान को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने की संगठन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। डॉ. टेड्रोस ने विज्ञान और परंपरा के बीच तथा ज्ञान और अनुभव के बीच सेतु बनाने की बात कही।
सम्मेलन में एक आयुष प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियां शामिल हैं।
सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलों की घोषणा होने की उम्मीद है। दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित, प्रभावी और साक्ष्य-आधारित उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई वैश्विक प्रतिबद्धताओं की भी घोषणा की जाएगी। सम्मेलन का विषय है – संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास।