प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाओस की दो दिन की यात्रा पर वियंनचन पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से आसियान देशों के साथ भारत के संबंध और अधिक मजबूत होंगे। लाओस के गृहमंत्री विलयवोंगे बौद्धाखाम ने उनका स्वागत किया। श्री मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिले।
बाद में प्रधानमंत्री ने लाओस में रामायण की प्रस्तुति, जिसे फलक–फलम या फरा लक फरा राम कहा जाता है का अवलोकन किया। यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री वियंनचन में 21वें आसियान-भारत सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वे सदस्य देशों तथा भागीदार देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। उनका वियंनचन में 19वें पूर्वी-एशिया सम्मेलन में शामिल होने का भी कार्यक्रम है।
इससे पहले अपने प्रस्थान वक्तव्य में श्री मोदी ने भारत की एक्ट-ईस्ट नीति के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वे आसियान नेताओं के साथ समग्र सामरिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा करेंगे तथा सहयोग की दिशा में भावी रूपरेखा तैयार करने संबंधी बैठक में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करने का अवसर प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाओस सहित इस क्षेत्र के साथ भारत के घनिष्ठ सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं। उन्होने कहा कि इन संबंधों को बौद्ध धर्म और रामायण की साझा विरासत से बल मिला है।
उन्होंने कहा कि वे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए लाओस के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकों को लेकर उत्सुक हैं। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी यात्रा से आसियान देशों के साथ उनके संबंध और सुदृढ होंगे। पूर्वी एशिया सम्मेलन भागीदार देशों के नेताओं को क्षेत्र में परस्पर विश्वास का माहौल बनाने और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर देता है।