देश में नये आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू हो जायेंगे। इसके तहत किशोर न्याय बोर्ड का प्रावधान किया गया है। भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा 20 कहती है कि सात साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है। भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 21 के अनुसार सात साल से अधिक उम्र और बारह साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है, जिसने उस अवसर पर अपने कार्य की प्रकृति और परिणामों का आकलन करने के लिये पर्याप्त समझ की परिपक्वता प्राप्त नहीं की है। भारतीय नागरिक सुरक्षा-संहिता 2023 में सीआरपीसी की धारा 27 को हटा दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 300 कहती है कि प्ली बार्गेनिंग के प्रावधान बच्चों के खिलाफ अपराधों पर लागू नहीं होते हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 401 अच्छे आचरण के लिये चेतावनी के बाद परिवीक्षा पर रिहा करने के आदेश की बात करती है और यह भी कि किशोर न्याय अधिनियम को प्रभावित नहीं करेगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 402 में उल्लेख है कि किशोर न्याय अधिनियम के तहर एक युवा अपराधी से निपटने के लिये न्यायालय द्वारा विषेश कारण दर्ज किये जाने हैं।
किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार, जैसे ही कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे को पुलिस द्वारा पकड़ा जाता है, ऐसे बच्चे को विशेष किशोर पुलिस इकाई या नामित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के प्रभार में रखा जाना चाहिये, जो बच्चे को 24 घंटे के भीतर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने के लिये बाध्य है। बच्चे को पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जाना चाहिए या जेल में बंद नहीं किया जाना चाहिये। इसके अलावा ऐसे बच्चे को, चाहे उसने जमानती या गैर-जमानती अपराध किया हो, जमानत के साथ या उसके बिना सिक्योरिटी पर रिहा किया जाना चाहिये। केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता हैं, लेकिन उस स्थिति में उसे किशोर न्याय बोर्ड के सामने लाये जाने तक निर्धारित तरीके से अवलोकन गृह में रखा जाना चाहिये।
Site Admin | जून 12, 2024 9:24 अपराह्न
देश में नए आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू हो जाएँगे