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अक्टूबर 5, 2024 7:28 पूर्वाह्न

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देश भर के शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने पांच भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के फैसले की सराहना की

देश भर के शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने पांच भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सराहना की है। मंत्रिमंडल की कल हुई बैठक में असमिया, बांग्‍ला, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने का फैसला किया गया। यह दर्जा मिलने से इन भाषाओं को उनके अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा देने में सरकार से मिलने वाले कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे।

आकाशवाणी समाचार से बात करते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वल कुमार ने कहा कि इन भाषाओं में सांस्कृतिक विरासत है और इस फैसले से भाषाओं के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे साहित्य के छात्रों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य-सचिव डॉ. सचिदानंद जोशी ने कहा कि इन भाषाओं को शामिल करने का ऐतिहासिक महत्व है। उन्होंने कहा कि देश का प्राचीन साहित्य इन भाषाओं में उपलब्ध है और इन्‍हें शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने से अध्ययन और अनुसंधान में मदद मिलेगी।