देशभर में नए कवियों को तलाशने और तराशने का काम राष्ट्रीय कवि संगम करता है और उन्हें उचित मंच मिले, अच्छे कार्यक्रम मिलें और वे अच्छा लेखन करें, इसी कार्य को कवि संगम आगे बढ़ाता आ रहा है। यह बात राष्ट्रीय कवि संगम के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कही। जगदीश मित्तल रविवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के धौलाधार परिसर में केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे थे। कार्यक्रम में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए आयोजकों को कवि सम्मेलन आयोजित करने पर बधाई दी।
राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा कि साहित्य हमेशा समाज को दिशा देता है। कवि संगम ऐसा कार्यक्रम है, जिसके माध्यम से बहुत कम शब्दों में श्रोताओं को अच्छी बात बताई जाती है, जिसे लोग बार-बार सुनना पसंद करते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश भर के कवियों ने भाग लिया और संस्कार देने की दिशा प्लान की। देश के विभिन्न राज्यों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए गए, इसी कड़ी में अब धर्मशाला में कार्यक्रम आयोजित किया गया। बड़े-बड़े भाषणों को भी कोई समाप्त करता है तो कविता की चार लाइनों से समाप्त करता है, ऐसे में कहा जा सकता है कि कविता में बहुत शक्ति होती है। लोकसभा में भी जब प्रधानमंत्री से लेकर सांसद जब बोलते हैं तो उनका भाषण तब तक पूरा नहीं होता, जब तक वे कविता की चार पंक्तियां न सुनाएं। ऐसे में हमारा प्रयास है कि नए कवि, अच्छी बातें लिखें और उन्हें समाज तक पहुंचाएं।
कांगड़ी बोलीएवं लोक सहित्य में सर्टिफिकेट कोर्स : प्रो. बंसल
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम लगातार होने चाहिए। वर्तमान दौर में कवि सम्मेलनों की अपने आप में महत्वपूर्ण भूमिका नजर आती है। व्यक्ति से व्यक्तित्व की यात्रा में इस तरह के कवि सम्मेलनों का बहुत बड़ा योगदान है। हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम आयोजित करके 30 साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कांगड़ी बोली एवं लोक साहित्य शीर्षक से छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का प्रावधान किया है। प्रदेश के साहित्यकारों की रचनाओं को प्रकाशित करने का काम भी केंद्रीय विश्वविद्यालय ने शुरू कर दिया है।