प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया है कि दूसरों की निंदा करना और हंसी उड़ाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे वकीलों के एक समूह के पत्र का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह बात कही। वकीलों ने अपने पत्र में न्यायपालिका की निष्पक्षता को धूमिल करने की कोशिशों पर चिंता व्यक्त की थी। श्री मोदी ने कहा कि पांच दशक पहले कांग्रेस ने एक प्रतिबद्ध न्यायपालिका की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस औरों से प्रतिबद्धता की मांग करती है लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से दूर रहती है। श्री मोदी ने कहा कि यह कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीयों ने कांग्रेस को नकार दिया है।
हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा और पिंकी आनन्द समेत कुछ प्रमुख वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा था। इस पत्र में आरोप लगाया गया था कि निहित स्वार्थ वाला एक समूह बेतुके तर्को और घिसे-पीटे राजनैतिक एजेंडा के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। इन वकीलों का कहना था कि दबाव के ये तरीकें राजनीतिक मामलों और विशेष रूप राजनीतिक लोगों से जुडे से भ्रष्टाचार के मामलों में साफ दिखाई देते हैं।