प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जापान की टेक्नॉलोजी और भारत की प्रतिभा मिलकर इस सदी की टेक क्रांति का नेतृत्व कर सकते हैं। टोक्यो में जापान आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जापान टेक्नॉलोजी का और भारत प्रतिभा का पावर हाऊस है। भारत ने एआई, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कम्प्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में साहसी और महत्वकांक्षी पहल की है। उन्होंने कहा कि रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के बाद भारत, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए खोल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान-भारत की विकास यात्रा का हमेशा से महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। मेट्रो से विनिर्माण तक, सेमीकंडक्टर से स्टार्टअप तक यह सहभागिता हर क्षेत्र में आपसी विश्वास का प्रतीक है। जापान की कंपनियों ने भारत में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। श्री मोदी ने कहा कि विनिर्माण और ऑटो क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग अत्यधिक सफल रहा है। साथ मिलकर हम बैटरी, रोबोटिक्स, सेमीकंडक्टर, जहाज निर्माण और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी ऐसी सफलता हासिल कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुजुकी और डेकन की सफलता की कहानियां अन्य के लिए भी सफलता की कहानियां बन सकती है। उन्होंने मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि आज भारत में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता तथा नीतियों में पारदर्शिता है। भारत आज दुनिया में तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के पीछे हमारा रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म दृष्टिकोण है। इस अवसर पर जापान के प्रधानमंत्री ने शिगेरू इशिबा ने कहा कि जापान की उन्नत प्रौद्योगिकी और भारत की विशिष्ट प्रतिभा एक दूसरे के पूरक है जो हमारे आर्थिक संबंधों का विस्तार करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की कंपनियों के बीच सहयोग के दस्तावेज पर हस्ताक्षर होना भारत में और निवेश के लिए जापान की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।