दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में कल देर शाम “संविधान: विकसित भारत की राह करे आसान” विषय पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विख्यात कवियों ने अपनी अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति के रंग जमाए। जाने माने कवि डॉ हरिओम पँवार ने अपनी कविता “मैं भारत का संविधान हूँ, लाल किले से बोल रहा हूं, मेरा अंतर्मन घायल है, दुःख की गांठें खोल रहा हूं…” के माध्यम से संविधान की पीड़ा को बहुत ही संजीदा तरीके से पेश किया। इस कवि सम्मेलन में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने संविधान और डॉ बीआर अंबेडकर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब भी देश पर कठिन प्रश्न आया है तो संविधान ने उसका रास्ता निकाला है।
इस समारोह में दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी और रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता सहित अनेक शिक्षक, अधिकारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।