प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि बिम्सटेक दुनिया की बेहतरी का महत्वपूर्ण मंच है और इसे मजबूत किए जाने की जरूरत है। थाईलैंड के बैंकॉक में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने सहयोग से जुड़ी 21 सूत्री कार्य योजना प्रस्तावित की।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि बिम्सटेक देशों के बीच व्यापार बढ़ना चाहिए। श्री मोदी ने बिम्सटेक वाणिज्य संघ की स्थापना और प्रतिवर्ष बिम्स्टेक व्यापार शिखर सम्मेलन के आयोजन की भी घोषणा की। उन्होंने बिम्सटेक क्षेत्र में स्थानीय मुद्रा में व्यापार की संभावनाओं का पता लगाने के लिए व्यावहारिकता अध्ययन का भी प्रस्ताव किया।
प्रधानमंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी की अपार संभावनाओं का लाभ लेने और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बिम्सटेक को और मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में म्यामां और थाइलैंड में आए भूकंप ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में मिलकर काम करने की जरूरत को उजागर किया है।
उन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने का भी आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा कि बिम्स्टेक क्षमता निर्माण के शानदार उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि बोधि पहल के तहत बिम्स्टेक देशों के 300 युवाओं को हर वर्ष भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
श्री मोदी ने यह भी बताया कि इस वर्ष भारत में बिम्स्टेक परंपरागत संगीत उत्सव आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृति जैसे क्षेत्र लोगों को आपस में जोड़ते हैं और आशा व्यक्त की कि बिम्स्टेक के बीच सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन से अलग बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनुस के साथ भी मुलाकात की।
श्री मोदी दो दिन की थाईलैंड यात्रा पर हैं। कल उन्होंने थाईलैंड के प्रधानमंत्री पेंटोंगटर्न शिनावात्रा से द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की।
बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में आज श्रीलंका जाएंगे। श्रीलंका की तीन दिन की सरकारी यात्रा के दौरान श्री मोदी वहां के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इससे पहले राष्ट्रपति दिसानायके ने पद ग्रहण करने के बाद भारत का दौरा किया था जो राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की श्रीलंका की यह चौथी यात्रा है।
भारत और श्रीलंका के संबंध इतिहास, धर्म, संस्कृति और लोागें के संबंधों पर आधारित हैं। श्रीलंका भारत की पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की नीति का अभिन्न हिस्सा है और दोनों देशों के संबंध समय की हर कसौटी पर खरे उतरे हैं।