लोकसभा ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 पारित कर दिया है। विधेयक में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद को एक विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रावधान है। इसे त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया जाएगा। यह संस्थान सहकारी क्षेत्र में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रदान करेगा, सहकारी अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देगा और सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता के मानक प्राप्त करेगा।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि यह विधेयक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा और स्वरोजगार सृजन तथा छोटे उद्यमियों के विकास में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में नवाचार तथा अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि इस विधेयक से देश में आधुनिक शिक्षा से सुसज्जित सहकारी नेतृत्व प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का नाम गुजरात में अमूल कंपनी की नींव रखने वाले त्रिभुवन भाई पटेल के नाम पर रखा गया है।
श्री शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र देश के हर परिवार को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि हर गांव में सहकारिता की कुछ इकाइयां कृषि, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार से जुड़ी हैं और देश की प्रगति में योगदान दे रही हैं। श्री शाह ने कहा कि पूंजी के बिना किसी व्यक्ति को उद्यमिता से जोड़ने का एकमात्र माध्यम सहकारिता क्षेत्र है और करोड़ों लोग 100 रुपये की पूंजी के साथ अपना उद्यम शुरू कर रहे हैं।
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की गेनीबेन नागाजी ठाकोर ने कहा कि गुजरात में पहला सहकारिता विश्वविद्यालय स्थापित होना गर्व की बात है। भारतीय जनता पार्टी के मितेश पटेल ने कहा कि सहकारिता छोटे किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड-अमूल की सफलता की गाथा त्रिभुवन दास पटेल के दूरदर्शी नेतृत्व का एक उदाहरण है। श्री पटेल ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाएगा।
समाजवादी पार्टी के वीरन्द्र सिंह ने विश्वविद्यालय के उप कुलपति और शासी निकाय की नियुक्ति के मानदंड पर प्रश्न उठाया।