तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के नए प्रतीक चिन्ह अपनाने के फैसले से राज्य के आदिवासी लोगों में उत्साह है। नया प्रतीक चिन्ह आदिवासी संस्कृति को प्रतिबिंबित करेगा जिसमें मेदाराम सम्मक्का सरलम्मा और नागोबा देवी की छवियां होंगी। सम्मक्का और सरलम्मा दोनों मां-बेटी थीं जिन्हें आदिवासी योद्धा की उपाधि दी गई। उन्होंने काकतीय शासकों के दमनकारी कार्यों और उनके अधिकार छीनने के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
वहीं, मुलुगु जिले में मनाए जाने वाला मेदाराम जतारा एशियाई महाद्वीप का सबसे बड़ा आदिवासी सम्मेलन और त्योहार माना जाता है। आदिलाबाद और आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में गोंडों के मेसराम कबीले में हर साल नागोबा मेला लगता है। इन्हीं नागोबा भगवान की छवियों को राज्य के प्रतीक चिन्ह में शामिल किया जाएगा। ओडिशा, छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों के लोग भी नागोबा जतारा को मनाते हैं और इसे एक राज्य त्योहार के रूप में मान्यता दी गई है।