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मई 3, 2024 5:57 अपराह्न

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तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्‍वयन का अध्‍ययन करें छात्र – दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा

दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के छात्रों का आहवान किया कि वे तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्‍वयन का अध्‍ययन करें। उन्‍होंने कहा कि यह तीनों कानून इस साल एक जुलाई से ब्रिटिश युग के औपनिवेशिक कानून भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने जा रहे हैं।

न्‍यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा दिल्ली विश्वविद्यायल द्वारा तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर आयोजित जागरूकता अभियान के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी। नए क़ानूनों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए न्‍यायाधीश शर्मा ने कहा कि बदलते दौर में हमें नई तकनीक की जरूरत है। नई तकनीक के आगमन के साथ नए अपराध भी सामने आएंगे। ऐसे में नए क़ानूनों की भी जरूरत होती है। इसलिए हमें इन क़ानूनों का साकारात्मकता से स्वागत करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यायल के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ये तीन नए कानून परिवर्तनकारी साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है और लोकतन्त्र की नींव कानून के शासन पर टिकी होती है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि उच्‍चतम न्‍यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमति मोनिका अरोड़ा ने तीनों नए क़ानूनों की पुराने क़ानूनों से तुलनात्मक व्याख्या प्रस्तुत की।