विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम जयशंकर ने आज जैव सुरक्षा को मज़बूत करने और जैविक हथियार सम्मेलन-बीडब्ल्यूसी को मज़बूत बनाने के लिए तत्काल वैश्विक सुधारों का आह्वान किया। डॉक्टर जयशंकर ने यह बात नई दिल्ली में ‘जैविक हथियार सम्मेलन के 50 वर्ष – ग्लोबल साउथ के लिए जैव-सुरक्षा को सुदृढ़ करना’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कही।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति तेज़ी से मौजूदा वैश्विक शासन ढाँचों से आगे निकल रही है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नए जोखिम पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन अनिश्चित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश में जीवन विज्ञान में नवाचार और दुरुपयोग के बीच एक सुरक्षा-कवच बना हुआ है।
डॉ. जयशंकर ने जैविक खतरों के बारे में कहा कि किसी भी प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एकजुटता होनी चाहिए। विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय कार्यान्वयन की योजना के लिए भारत के प्रस्ताव का भी उल्लेख किया। इस प्रस्ताव में उच्च जोखिम वाले एजेंटों की पहचान, दोहरे उपयोग वाले अनुसंधान की निगरानी, घरेलू रिपोर्टिंग, घटना प्रबंधन और निरंतर प्रशिक्षण शामिल हैं।
विदेश मंत्री ने वैश्विक स्वास्थ्य नेता के रूप में भारत की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने देश की पाँच प्रमुख विशेषताओं के बारे में कहा कि भारत, दुनिया के 60 प्रतिशत टीके बनाता है और वैश्विक जेनेरिक दवाओं के 20 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति भी करता है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका को 60 प्रतिशत जेनेरिक दवाएँ भी भारत से जाती हैं। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत में लगभग 11 हज़ार बायोटेक स्टार्टअप हैं, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बायोटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम है।