भारत जीआईटीईएक्स ग्लोबल दुबई 2025 में एक वैश्विक प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद सौ भारतीय कंपनियों के एक मजबूत प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही है। 237 कंपनियों वाला भारतीय मंडप कई विषयगत हॉलों में फैला हुआ है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नवाचार और आईसीटी निर्यात में देश की बढ़ती क्षमताओं को उजागर करता है।
भाग लेने वाली कंपनियाँ, जिनमें से कई एमएसएमई और निर्यात-तैयार स्टार्टअप हैं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), स्मार्ट मोबिलिटी और डिजिटल बुनियादी ढाँचे में अत्याधुनिक समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित कर रही हैं। उनकी उपस्थिति वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और दुबई के रणनीतिक प्रवेश द्वार के माध्यम से नए निर्यात बाजारों का दोहन करने के भारत के प्रयास को रेखांकित करती है।
ईएससी के अध्यक्ष वीर सागर ने कहा जीआईटीईएक्स भारतीय कंपनियों के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने, साझेदारियों की तलाश करने और नए भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तार करने के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में कार्य करता है
ईएससी के कार्यकारी निदेशक और सीईओ गुरमीत सिंह ने कहा जीआईटीईएक्स में ईएससी की भागीदारी भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी क्षेत्रों की ताकत और पैमाने को दर्शाती है।
वित्त वर्ष 2024-25 में यूएई को भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। यूएई के मजबूत लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे और केंद्रीय स्थान ने इसे मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप के बाजारों तक पहुँचने के इच्छुक भारतीय निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत-यूएई व्यापार 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स द्विपक्षीय विकास के प्रमुख चालक के रूप में उभर रहा है।