अबू धाबी में आईयूसीएन कांग्रेस में जारी आईयूसीएन विश्व धरोहर आउटलुक 4 के अनुसार जलवायु परिवर्तन दुनिया के प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है, जिससे लगभग आधे स्थल प्रभावित हो रहे हैं।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 43 प्रतिशत प्राकृतिक स्थल अब गंभीर जलवायु संबंधी जोखिमों का सामना कर रहे हैं, जो अन्य सभी दबावों से कहीं अधिक है, जबकि आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ 30 प्रतिशत स्थलों को प्रभावित कर रही हैं। वन्यजीवों और पौधों की बीमारियों से प्रभावित स्थलों की संख्या में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है, जो 2020 में दो प्रतिशत से बढ़कर 2025 में नौ प्रतिशत हो गई है।
2014 से एक दशक के वैश्विक आकलन पर आधारित यह आउटलुक, प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की स्थिति का अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण प्रदान करता है। यह उनके संरक्षण की स्थिति में निरंतर गिरावट को दर्शाता है, सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाने वाले स्थलों का अनुपात 2020 में 62 प्रतिशत से गिरकर इस वर्ष 57 प्रतिशत हो गया है। अपनी जैव विविधता के लिए पहचाने जाने वाले क्षेत्र सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।
आईयूसीएन महानिदेशक डॉ. ग्रेथेल एगुइलर ने कहा, “विश्व धरोहरों का संरक्षण केवल प्रतिष्ठित स्थलों की सुरक्षा के बारे में नहीं है, बल्कि जीवन, संस्कृति और पहचान की नींव की रक्षा के बारे में भी है।”