विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ही वैश्विक कल्याण और वैश्विक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। आज वियनतियाने के लाओ पीडीआर के 31वें आसियान क्षेत्रीय मंच में उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों का प्रसार और वैश्वीकरण की परस्पर निर्भरता का अनुचित लाभ नहीं उठाया जाना चाहिए। डॉ. जयशंकर ने कहा कि कोविड, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन वर्तमान दुर्दशा को उजागर करते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केवल आर्थिक सहयोग, राजनीति, प्रौद्योगिकी और संपर्क के माध्यम से ही समाधान निकल सकते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हमें आतंकवाद के सभी रूपों से मुकाबला करने, आतंकी ठिकानों तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवाद वित्तपोषण नेटवर्क को नष्ट करने और साइबर अपराध से निपटने में मजबूत होना चाहिए। डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत आसियान एकता, केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण -(एओआईपी) का दृढ़ता से समर्थन करता है। उन्होंने भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल और एओआईपी के बीच तालमेल का उल्लेख किया। विदेश मंत्री ने पुष्टि की कि अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन- (यू एन सी एल ओ एस) 1982 के अनुसार भारत समुद्री रक्षा और सुरक्षा के महत्व, समुद्री जहाजों की मुक्त आवा-जाही और इस क्षेत्र में विमानों की स्वतंत्र उडान तथा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देता है।
उन्होंने कहा कि क्वाड जन-केंद्रित हितों के माध्यम से क्षेत्र को स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के प्रयास में आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र का पूरक है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में आसियान क्षेत्रीय मंच की गतिविधियों में योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।