जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आज आईआईटी, आईआईएम, एम्स, एनआईटी और अन्य शीर्ष विश्वविद्यालयों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में आदि कर्मयोगी छात्र अध्यायों का शुभारंभ किया। इससे जनजातीय छात्रों में नेतृत्व, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी युवा-नेतृत्व आंदोलन की शुरुआत हुई।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव विभु नायर ने कहा कि शीर्ष संस्थानों के छात्रों को आदिवासी समुदायों और विकास कार्यक्रमों से जोड़कर, सरकार का लक्ष्य युवा नेताओं की एक पीढ़ी का पोषण करना है। यह देश के शैक्षिक, सामाजिक और उद्यमशीलता परिदृश्य को आकार देंगे। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम देश में युवा नेतृत्व के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इस अवसर पर आदि युवा फेलोशिप और आदि कर्मयोगी स्वयंसेवक कार्यक्रम भी शुरू किया गया। यह फेलोशिप संयुक्त राष्ट्र के साथ साझेदारी में है। यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जो शिक्षा, मार्गदर्शन और करियर विकास के माध्यम से आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया है।
आदि कर्मयोगी स्वयंसेवक पहल को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का समर्थन प्राप्त है। यह आदिवासी युवाओं को जमीनी स्तर पर बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने और आदिवासी क्षेत्रों में अंतिम छोर तक सेवा वितरण को मज़बूत करने के लिए सक्षम बनाएगा।