रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि जटिल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत ने हमेशा वार्ता को प्राथमिकता देने की बात कही है। लाओस के विएंतियाने में आसियान के रक्षामंत्रियों और उनके संवाद साझेदारों की 11वीं बैठक को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि सीमा विवाद से लेकर व्यापार समझौतों तक सभी प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों को भारत ने मुक्त संवाद और शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से सुलझाया है।
उन्होंने कहा कि भारत का स्पष्ट मानना है कि वैश्विक समस्याओं के दूरगामी समाधान देशों के बीच एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए सार्थक वार्ता से प्राप्त किए जा सकते हैं। श्री सिंह ने कहा कि लाओस में यह बैठक ऐसे सही समय पर हो रही है जब विश्व के विभिन्न भागों में संघर्ष चल रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए चुनौतियां खडी हैं। उन्होंने कहा कि लाओस बौद्ध धर्म के अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को लंबे समय से आत्मसात कर चुका है।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत समुद्री और हवाई परिवहन की स्वतंत्रता का पक्षधर है तथा शांति को बढ़ावा देने के संदर्भ में निर्बाध कानूनी वाणिज्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन की पैरवी करता है। आचार संहिता पर जारी चर्चा का उल्लेख करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि आचार संहिता देशों के वैधानिक अधिकारों और हितों के प्रति पक्षपाती नहीं होनी चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि आचार संहिता अंतर्राष्ट्रीय कानून और विशेषरूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि, 1982 के अनुरूप होनी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए श्री सिंह ने वैश्विक साझीदारों की अवधारणा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि साझा प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण प्रणाली धरती पर बेहतर जीवन और समृद्धि लाने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये संसाधन पर्यावरण, आर्थिक तथा सामाजिक लाभों को राष्ट्रीय सीमाओं से आगे ले जाएंगे।
रक्षामंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी एशिया की सदी है। उन्होंने कहा कि आसियान क्षेत्र विशेष रूप से आर्थिक रूप से सशक्त रहा है जहां व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों की गहमा-गहमी रही है। श्री सिंह ने कहा कि भारत अपनी परिवर्तनकारी यात्रा में इस क्षेत्र का विश्वसनीय मित्र रहा है।
रक्षामंत्री ने जोर देकर कहा कि आज स्वीकृत किया जाने वाला संयुक्त वक्तव्य और आसियान के साथ भारत की व्यापक सामरिक साझेदारी भविष्य में भारत-आसियान साझेदारी की आधारशिला रखेंगे।